भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरा दिन की कार्यवाही जारी है । पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा सदन में एक बार फिर गूंजा। नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि सदन के आश्वासन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज क्या कदम उठा रहे हैं। सदन में आज मुख्यमंत्री इसकी जानकारी दें। और सरकार इसकी स्थिति स्पष्ट करे। जिसके बाद सरकार के साथ हम भी कोर्ट जाने को तैयार हैं।
कमलनाथ ने कहा कि हमारे स्थगन प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था। ओबीसी सीट्स पर आरक्षण बगैर चुनाव नहीं कराने का आश्वासन दिया था। उमा भारती, गोपाल भार्गव ने भी सवाल उठाया है कि कि रोटेशन, परिसीमन क्यों नहीं किया।
वहीं प्रदेश में रासायनिक खाद की कमी का मुद्दा सदन में उठा। खाद की कमी को लेकर सदन में तीखी नोक झोंक भी देखने को मिली। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि महत्वपूर्ण विषय है चर्चा होने दे।
कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार ने कहा कि मैं पहली बार का विधायक हूँ और हमारे कृषि मंत्री जी अमर्यादित हो रहे हैं विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सीधा प्रश्न करें। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष और विधायक सतीश सिकरवार के बीच जमकर बहस हुई।
कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार ने कहा कि समितियों की जांच कब करेंगे जानकारी दें। पूरे प्रदेश में खाद की कमी है। खाद की जगह लट्ठ मिल रहा है। जिसके उत्तर में कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि 99 का लाइसेंस रद्द किया गया। 78 एफआईआर कराई गई। और साथ ही साथ रासुका लगाकर कार्रवाई करें। हम सिर्फ किसानों को खाद दे रहे।
सत्र के दौरान बिजली बिल को लेकर गहमागहमी का माहौल हो गया। कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा, विधायक आरिफ अकील और कमलेश्वर पटेल ने सवाल उठाए।
दरअसल कोरोना काल के बिजली बिल माफ करने की माँग को लेकर कांग्रेस विधायकों ने हंगामा किया। पीसी शर्मा ने कहा कि कनेक्शन नहीं होने के बावजूद लोगों के घरों में बिजली बिल आ रहे हैं। बिजली के बिल के मुद्दे पर विपक्ष ने सदन का वॉक आउट किया।
कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने कहा कि कोरोना काल के समय के बिजली बिल माफ करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन बिजली कनेक्शन कटे जा रहे हैं। गरीबों के हजारों रुपए बिल आ रहे है। अगर बिजली बिल माफ नहीं करेंगे, तो मुख्यमंत्री निवास का घेराव करेंगे।
कांग्रेस का कहना है कि मुख्यमंत्री की बात को सदन में ऊर्जा मंत्री ने नकार दिया। मुख्यमंत्री ने किया था ऐलान कोरोना काल के समय के गरीबों से बिजली बिल नहीं लिए जाएंगे। और कांग्रेस ने ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर से इस्तीफे की मांग की है।
जवाब देते हुए प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने कांग्रेस विधायकों पर सदन में गलत जानकारी देने का आरोप लगाया है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने कहा कि जनता ने उन्हें चुना है और लोकतंत्र के मंदिर में शपथ ली थी के सत्य बोलेंगे मगर बहुत कस्ट हो रहा है कि विपक्ष के विधायकों द्वारा गलत जानकारी दी गई है।
कांग्रेस के आरोपों पर प्रद्युमन सिंह तोमर ने साफ कहा कि अगर किसी गरीब उपभोक्ताओ के बिजली बिल ज्यादा आ रहा है तो उसकी जांच अवश्य की जाएगी। इसके लिए अगर कांग्रेस विधायक गरीब हितेषी है तो संबंधित विभाग को बताएं और वह भी सुनवाई नहीं होती है तो मुझे अवगत कराएं। तत्काल शिकायत पर सज्ञान लेकर अधिकारियों पर कार्यवाही की जाएगी।
प्रदेश में पांच साल में कितना चावल और गेहूं खराब हुआ सरकार को पता ही नहीं है। गरीबों को बांटे गए खराब चावल के मामले में क्या काईवाई की गई। ये भी खाद्य मंत्री को नहीं पता है। मंत्री ने लिखित में एक लाइन में जवाब दिया कि जानकारी एकत्रित की जा रही है।
विधानसभा में कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने सवाल पूछा था कि पांच साल में कितना गेहूं और चावल खराब हुआ है। खराब गेंहू चावल किस फर्म को कितने में बेचा गया। खराब गुणवत्ता चावल देने वाले चावल मिलर्स पर क्या कार्रवाई हुई। कुणाल चौधरी ने कहा कि विभागीय मंत्री माफियाओं के साथ दलाल के रूप में काम कर रहे हैं।