जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में इस बार बहुत कुछ नया है। एक तो यह पहले ऐसे विधानसभा चुनाव हैं जो एक विधान और एक निशान यानि एक संविधान और एक झंडे के तहत हो रहे हैं। इससे पहले हुए विधानसभा चुनावों के दौरान जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 लगे होने के कारण भारतीय संविधान पूरी तरह लागू नहीं होता था और राज्य का अपना एक अलग झंडा भी था। इस बार के चुनावों में नयी बात यह भी है कि बंदूक और पत्थरबाजी से मसलों का हल निकालने में विश्वास रखने वाले अलगाववादी भी चुनाव लड़ रहे हैं क्योंकि उन्हें यह दिख चुका है कि सभी मुद्दों का हल लोकतांत्रिक तरीके से ही निकल सकता है। इसके अलावा इस बार के चुनावों में नयी बात यह भी है कि 1987 के बाद 2024 में पहली बार देखा जा रहा है जब उम्मीदवार घर घर जाकर चुनाव प्रचार कर पा रहे हैं। इससे पहले आतंकवाद के दौर में डर और तमाम तरह के प्रतिबंधों के चलते उम्मीदवार प्रचार नहीं कर पाते थे। लेकिन अब कश्मीर में डर और भय का माहौल नहीं है इसलिए उम्मीदवार मतदाता के घर तक और मतदाता पोलिंग स्टेशनों तक आसानी से पहुँचते हैं। हाल में लोकसभा चुनावों के दौरान कश्मीर घाटी में जिस तरह रिकॉर्ड मतदान हुआ था उससे उम्मीद है कि विधानसभा चुनावों के दौरान भी बंपर वोटिंग होगी।
10281510cookie-check1987 के बाद 2024 में वो दौर आया है जब जम्मू-कश्मीर में उम्मीदवार घर-घर जाकर चुनाव प्रचार कर पा रहे हैं