विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम का दो दिवसीय दौरा किया। दो हफ्ते से कुछ ज्यादा समय में पीएम मोदी का यह असम का दूसरा दौरा है। इससे पहले वो 23 जनवरी को असम गए थे और शिवसागर में जेरंगा पाथर में भूमि पट्टा आवंटन की शुरुआत की थी। जहाँ 17 वीं शताब्दी की अहोम राजकुमारी जोयमोती ने अपने जीवन का बलिदान दिया था। वहीं जिसके बाद उन्होंने असम के सोनितपुर के धेकियाजुली में दो मेडिकल काॅलेज की आधारशिला रखी और सड़कों को लिए असोम माला कार्यक्रम का शुभारंभ किया। पीएम मोदी ने धेकियाजुली की भूमि के इतिहास का जिक्र करते हु कहा कि ये ऐतिहासिक भूमि और वीरता और गौरव का प्रतीक माना जाता है। जहां 1942 में असम के सेनानियों ने अपने प्राण कुर्बान किए।
20 सितंबर, 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन के हिस्से के रूप में स्वतंत्रता सेनानियों के जुलूस असम के कई शहरों के विभिन्न पुलिस थानों तक गए। मृत्यु वाहिनी या डेथ स्कायड के रुप जाने वाले ये दस्ते में महिलाओं और बच्चों की व्यापक भागीदारी थी। इन्हें औपनिवेशिक सत्ता के प्रतीक के रूप में देखे जाने वाले पुलिस स्टेशनों पर तिरंगा फहराने के लिए तैयार किया गया। ब्रिटिश प्रशासन उन पर भारी पड़ गया। गोहपुर में, 17 वर्षीय कनकलता बरुआ और अन्य लोगों को गोली लगी वहीं करीब 15 लोग धेकियाजुली में पुलिस की गोली का शिकार बने। धेकियाजुली से ही भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सबसे कम उम्र के शहीद थे। 1940 के दशक में असम के इतिहास के दस्तावेज, स्वतंत्रता संग्राम में असम की भागीदारी तेज हुई। देशभक्ति का उत्साह अपने चरम पर था। और यह भी एक समय था जब आपने बहुत सी महिलाओं को आंदोलन में भाग लेते देखा।
गौरतलब है कि 2016 के विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी की अगुवाई वाली भाजपा ने असम में अपने बल पर 126 में 60 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि उसकी सहयोगी असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट की साझेदारी में कुल 86 सीटें हासिल की थी। बीजेपी असम में पहली बार कमल खिलाने में कामयाबी पाई थी।