भोपाल। मध्य प्रदेश पंचायत चुनावों की तारीखों के ऐलान के बाद फिर एक नया पेच फस गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव पर स्टे लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब पंचायत चुनाव पर तलवार लटक गई है।
दरअसल मध्य प्रदेश में पंचायती राज चुनाव में संवैधानिक प्रावधानों का पालन न करने और 2014 की रोटेशन पद्धति के आधार पर कराने को लेकर चुनौती दी गई थी। इन याचिकाओ में कहा गया था कि राज्य सरकार मनमाने तरीके से संवैधानिक प्रावधानों को अपने तरीके से इस्तेमाल कर रही है और यह पंचायती राज्य के प्रावधानों के विपरीत है।
सुप्रीम कोर्ट ने अब आयोग को यह निर्देश दिए हैं कि वह इन चुनावों को जारी रखने या टालने पर खुद ही विचार करें। लेकिन इस बात को याद रखें कि यह संवैधानिक प्रावधानों के तहत हो।
बताया जा रहा है कि जिला पंचायत अध्यक्षों की आरक्षण की प्रक्रिया 18 दिसंबर को होना है। लेकिन पंच, सरपंच, जनपद पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्यों, उपाध्यक्ष व अध्यक्ष के लिए अगर 2014 की आरक्षण प्रक्रिया का ही पालन किया जाता है। तो यह साफ तौर पर संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन होगा।
वहीं ऐसे में इस बात की व्यापक उम्मीद है कि चुनाव आयोग इन चुनावों को नए सिरे से कराने के लिए राज्य सरकार से आरक्षण प्रक्रिया दोबारा कराने को कह सकती है। क्योंकि चुनाव जारी रखे जाते हैं और किसी भी तरह के संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन होता है तो फिर उसकी पूरी जवाबदारी चुनाव आयोग की होगी।