नयी दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने सोमवार को दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारा एक्सप्रेस को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही अधिकरण ने 12 सदस्यों की समिति गठित की है जो सुनिश्चित करेगी कि अवैज्ञानिक तरीके से मलबे को रखने से पर्यावरण को नुकसान नहीं हो या गणेशपुर-देहरादून सड़क (एनएच-72ए) पर वन्यजीव गलियारा बाधित नहीं हो। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल,न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ.नागिन नंदा की पीठ ने कहा कि यह मानना मुश्किल है कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से परियोजना को वन मंजूरी देने के दौरान विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया।

अधिकरण ने कहा, ‘‘एक बार परियोजना की मंजूरी देने के बाद इसके परिणामस्वरूपद्वितीय चरण/पेड़ काटने की मंजूरी का होता है।हालांकि, हम देख सकते हैं कि पारदर्शिता के लिए द्वितीय चरण/पेड़ काटने की मंजूरी, पहले चरण के बाद दी जानी चाहिए और इसे तुरंत वेबसाइट पर अपलोड करना चाहिए।’’

एनजीटी ने कहा, ‘‘वन मंजूरी को कायम रखने के बावजूद, हम पाते हैं कि इसके प्रभाव को कम करने वाले उपायों को प्रभावी तरीके से लागू किया जाना चाहिए और उसकी जमीन पर निगरानी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की ओर से किया जाना चाहिए और साथ ही यही निगरानी स्वतंत्र प्रणाली की ओर से भी जानी चाहिए।’’ हरित अधिकरण ने इसके साथ ही 12 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया जिसकी अध्यक्षता उत्तराखंड के मुख्य सचिव करेंगे, इसमें भारतीय वन्य जीव संस्थान, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उत्तराखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य को नामित किया।

330340cookie-checkएनजीटी ने दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे को मंजूरी दी, पर्यावरण निगरानी के लिए बनाई समिति
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