शारिब कमर (अज़मी) की रिपोर्ट
अन्नदाता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए रद्द किये जायें कृषि बिल
फतेहपुर(CNF)। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष एवं वरिष्ठ समाजसेवी हरि नारायण दुबे उर्फ नंदन बापू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि वह हर समस्या को अवसर मान कर चलते है,ं किंतु किसान जब उनके इतने निकट बैठा है तो वह इस बात को अवसर मान कर किसानों की समस्या क्यों नहीं सुनते। उनकी समस्याओं का निराकरण क्यो नहीं करते। उन्होंने कहा कि जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने किसान बिलो को वापस न लेने का निर्णय लेकर प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया है इससे देश का किसान मायूस और शर्मसार हुआ है। उन्होने बताया कि विगत 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर विशंभर नाथ विद्या मंदिर समिति के स्कूल परिसर पर शहीद श्रद्धांजलि किसान आंदोलन तथा पंचायती राज बिंदुओं पर गोष्ठी का आयोजन किया गया था। आयोजित संगोष्ठी पर किसान आंदोलन एवं पंचायत राज व्यवस्था पर विचार उपरांत प्रस्ताव पारित किए गए जिसमें निर्णय लिया गया कि दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन को सरकार गंभीरता से लें और किसानों की समस्याओं का निस्तारण करते हुए तत्काल प्रभाव से तीनों बिलो को रद्द करने का काम करें।
उन्होंने बताया कि गोष्ठी में जो बात उभर कर सामने आई कि कृषक आंदोलन में सबसे अहम कारण संदर्भित तीन नियमों को संसद द्वारा पारित कराने में अथवा उनके निर्मित करने की प्रक्रिया में कृषक विशेषज्ञों व मूल कृषक कर्मियों तथा कृषक संगठनों के नेताओं से चर्चा न कर जल्दबाजी में लागू किया किया। जिसका दिल्ली में आंदोलनरत किसान विरोध कर रहे हैं। उन्होने बताया कि शांतिपूर्वक आंदोलन होते हुए भी शीतलहर से लगभग 85 किसानों की मृत्यु हो चुकी है, जो बहुत दुःखद है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से देश का किसान अपेक्षा करता है की केंद्र सरकार अन्नदाताओं के विषय में सहानुभूति एवं उदारता दिखाते हुए तीनों कृषक बिलों को वापस लेकर पुनः विचार विमर्श के पश्चात किसानों के हित में बिल पारित कराए। उन्होंने दूसरे बिंदु पर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि पंचायती राज व्यवस्था की परिकल्पना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से प्रेरित है और उन्होने ही ग्राम स्वराज की परिकल्पना की थी। जिसके तहत जिला पंचायत के समस्त मतदाता अथवा नागरिक अराजनैतिक होंगे और उनके भावनाओं से प्रेरित होकर कालांतर में देश स्वतंत्र होने पर गणराज्य की स्थापना के पश्चात ग्राम स्वराज की परिकल्पना के अनुरूप संविधान निर्माताओं ने नियम-विनियम बनाते हुए पंचायत राज व्यवस्था की नियमावली बनाई। जिनके अंतर्गत ग्राम प्रधान व सदस्यगण, क्षेत्र पंचायत के सदस्य व अध्यक्ष प्रमुख तथा जिला पंचायत के सदस्यों की गठन प्रक्रिया की गई और उनके निर्वाचन आरा नैतिक व्यवस्था की गई। दलगत भावना से दूर रखने के लिए इनके चुनाव चिन्ह भी पृथक रखे गए, लेकिन विडंबना यह है कि गंदी राजनीति के तहत गांधी जी की मूल भावना के प्रतिकूल समस्त राजनैतिक दल अराजनैतिक संस्थाओं पर प्रभावी होने के लिए उन पर अतिक्रमण करते हुए परोक्ष व अपरोक्ष रूप से अपने दल के प्रत्याशी पंचायत राज के राजनीतिक स्वरूप को बाधित करते हुए प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति, महामहिम राज्यपाल को उक्त मामले को लेकर एक ज्ञापन भी भेजा जा चुका है, जिसमें किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए तत्काल प्रभाव से तीनों बिलो को वापस लेने की मांग की गई है।