लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा है कि यूपी में यदि 10 फीसदी वोट बैंक वाले यादव दो बार दो-दो बार सीएम बन सकते हैं तो 19 प्रतिशत वाला मुस्लिम क्यों नहीं। ओवैसी के इस बयान के पीछे क्या सियासत छिपी है यह तो समय ही बताएगा लेकिन ओवैसी के इस बयान ने अखिलेश की परेशानी तो बढ़ा दी है क्योंकि अखिलेश यादव पश्चिम से लेकर पूर्वांचल तक मुस्लिम को अपने पाले में करने में जुटे हुए हैं। ओवैसी के इस बयान का जवाब अखिलेश कब और कैसे देंगे यह काफी रोचक होगा।

10 पर्सेंट वाले यादव दो-दो बार सीएम

ओवैसी का दावा है कि यूपी में यादव समुदाय की तादाद लगभग 10 फीसदी है। यदि 10 फीसदी वोट बैंक लेकर उस समाज से दो दो बार मुख्यमंत्री बन सकते हैं। पहली बार मुलायम सिंह यादव ने यूपी पर राज किया उसके बाद उनके बेटे अखिलेश यादव ने 2012 में सत्ता का स्वाद चखा था। वो पांच साल मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान समाजवादी पार्टी ने यूपी में काम बोलता है के नारे के साथ विकास के तमाम दावे किए थे लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में जनता ने अखिलेश को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया और बीजेपी लंबे वनवास के बाद सत्ता में काबिज होने में सफल रही थी। अब ओवैसी ने यह नयी बहस छेड़ी है कि दस फीसदी वाले मुख्यमंत्री दो बार बन गए। यह अखिलेश की परेशानियों में और इजाफा कर सकता है।

19 पर्सेंट वाले मुस्लिम क्यों नहीं

आवैसी का दावा है कि यूपी में दस फीसदी वाले दो-दो बार सीएम बन सकते हैं तो 19 फीसदी वोट बैंक वाले मुस्लिम क्यों नहीं। आवैसी के इस दावे पर गौर करें तो यूपी की करीब 130 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम मतदाता राजनीतिक किस्मत बनाने या बिगाड़ने की स्थिति में हैं, लेकिन उनके पास राजनीतिक भागीदारी के नाम पर कुछ भी नहीं है। मुसलमानों के सबसे ज्यादा वोट पाने वाली समाजवादी पार्टी हो या सामाजिक न्याय के लिए दलित-मुस्लिम एकता की बात करने वाली बसपा, किसी ने भी मुसलमानों को नेतृत्व नहीं दिया। ओवैसी इसे राज्य में अपने चुनाव प्रचार का आधार बना रहे हैं। एआईएमआईएम के चीफ ओवैसी अपनी जनसभाओं में कहते हैं कि उनकी पार्टी का मुख्य लक्ष्य मुसलमानों के बीच उनके समुदाय की प्रगति और बेहतर भविष्य के लिए राजनीतिक सोच और नेतृत्व पैदा करना है। छोटी छोटी जातियों के नेता अपने अपने लीडर चुनते हैं और सरकार अपन दबाव डालकर अपनी मांगें मनवा लेते हैं। लेकिन मुस्लिम समाज ऐसा क्यों नहीं कर पाता ?

जाट को डिप्टी सीएम, मुस्लिम को क्यों नहीं

ओवैसी का नया दावा है कि यूपी में यदि जाट नेता को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है तो एक मुस्लिम को क्यों नहीं। दरअसल ओवैसी का इशारा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में गठबंधन को लेकर राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के प्रमुख जयंत चौधरी और समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव के बीच हो रहे गठबंधन को लेकर था। अब माना जा रहा है कि दोनों दल जल्द ही गठबंधन और सीट शेयरिंग की घोषणा कर सकते हैं। दोनों नेताओं के बीच आज करीब 1 घंटे तक बंद कमरे में बैठक हुई थी। इस बैठक के बाद अखिलेश यादव ने जयंत के साथ ट्विटर पर एक फोटो साझा की थी। तब यह अटकलें लगाई जा रहीं थी कि यदि यूपी में गठबंधन की सरकार बनी तो जयंत चौधरी को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है।

ओवैसी ने दी थी मुस्लिम समुदाय को अपना नेतृत्व चुनने की नसीहत

हालांकि इससे पहले भी असदुद्दीन ओवैसी ने एक नई बहस छेड़ी थी। तब ओवैसी ने कहा था कि ओवैसी के 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुसलमानों को नेतृत्व देने की बहस ने उन पार्टियों में बेचैनी पैदा कर दी है जो उन्हें अपना मुख्य वोट बैंक मानती हैं। जाटवों, यादवों, राजभरों और निषादों सहित विभिन्न जातियां, जो उत्तर प्रदेश की आबादी का एक अपेक्षाकृत छोटा हिस्सा हैं, कमोबेश उनका अपना नेतृत्व है, लेकिन मुसलमान, जो जनसंख्या का 19 प्रतिशत से अधिक है, ऐसा कोई नहीं देखते हैं। ओवैसी अब इसी बात को लेकर सपा-बसपा और कांग्रेस को सियासी तौर पर घेरने में जुटे हैं कि जब इतनी बड़ी आबादी है तो अपना नेतृत्व क्यों नहीं ?

322660cookie-checkलखनऊ : क्या मुस्लिम वोटों को लेकर अखिलेश की टेंशन बढ़ाएगा ओवैसी का 10 और 19 वाला फॉर्मूला?
Please follow and like us:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
For Query Call Now