प्रयागराज (CNF) / प्रयागराज में नैनी के रहने वाले युगांतर त्रिपाठी ने यूपी पीसीएस-2019 में दूसरा स्थान हासिल किया है। युगांतर ने बड़ा अफसर बनने के लिए जूनियर इंजीनियर की सरकार नौकरी छोड़कर सिविल सेवा की तैयारी शुरू की थी। युगांतर त्रिपाठी 2015 में जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में जूनियर इंजीनियर के पद पर नियुक्त हुए थे, लेकिन साल भार बाद ही इस नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। बिना किसी कोचिंग, घर पर ही रहकर युगांतर ने अफसर बनने के लिए पढ़ाई की और कामयबी हासिल की। अब वह डिप्टी कलेक्टर बनेंगे। सिविल सेवा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को सफलता के मंत्र देते हुए युगातंर ने कहा कि सफलता के लिए मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। वह रोजाना 12 घंटे तक पढ़ाई करते थे। उन्होंने कहा कि नकारात्मकता से दूरी बनाकर रखना सबसे जरूरी है। अच्छी किताबों को पढ़ें और असफलता से घबराएं नहीं, डटकर मुकाबला करें। आइए जानते हैं युगांतर की सक्सेस स्टोरी…
अफसर बनने के लिए जेई की सरकारी नौकरी से दिया इस्तीफा
प्रयागराज के नैनी के रहने वाले युगांतर त्रिपाठी ने यहीं से ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है। 2011 में नैनी से यूनाइटेड इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। इसके बाद उनका चयन राजस्थान के जयपुर डिस्कॉम में जूनियर इंजीनियर के पद पर हुआ। लेकिन युगांतर हमेशा से ही प्रशासनिक सेवा में जाना चाहते थे। इसी वजह से से उन्होंने 2015 में सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। फिर आगे प्रसाशनिक परीक्षाओं की तैयारी में जुट गए।
हासिल की सफलता, लेकिन लक्ष्य और भी है बड़ा
युगांतर ने 2017 से घर पर ही रहकर प्रसाशनिक सेवाओं की परीक्षा की तैयारी की। अब तक यूपी पीसीएस की 2017 से 2020 तक चार बार परीक्षा दी। दो बार उन्हें इंटरव्यू का मौका भी मिला। पीसीएस 2019 के परीक्षा परिणाम में उन्होंने दूसरा स्थान प्राप्त किया। हालांकि, उनका लक्ष्य और बड़ा है। युगांतर भारतीय प्रशासनिक सेवा (यूपीएससी) में सफलता अर्जित करना चाहते हैं। युगांतर का कहना है कि जून में यूपीएससी की परीक्षा होनी है, जिसके लिए वह कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
परिवार के सहयोग और मेहनत से मिली सफलता
बता दें, युगांतर के पिता रवि प्रकाश त्रिपाठी रेलवे में स्टेशन अधीक्षक पद पर थे, दो साल पहले वह रिटायर हुए हैं। माता मधु त्रिपाठी गृहणी हैं। सबसे बड़े भाई अंशुमान त्रिपाठी बैंगलोर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। वहीं, दूसरे नंबर के भाई देवब्रत त्रिपाठी मुंबई में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में वैज्ञानिक हैं। युगांतर बताते हैं कि उन्हें हमेशा परिवार से पूरा सहयोग मिला और इसी वजह से वह आज कामयाब हुए हैं।