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फतेहपुर : गुरूद्वारे के ज्ञानी जी ने बताया सिखों के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर जी की पुण्यतिथि को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। गुरु तेग बहादुर 24 नवंबर 1675 को शहीद हुए थे, नानकशाही कलेंडर के अनुसार इस वर्ष 08-दिसम्बर को शहीदी दिवस मनाया गया गुरु तेग बहादुर की मुगल बादशाह औरंगजेब से अदावत की शुरुआत कश्मीरी पंडितों को लेकर हुई। कश्मीरी पंडित मुगल शासन द्वारा जबरदस्ती मुसलमान बनाए जाने का विरोध कर रहे थे। उन्होंने गुरु तेग बहादुर जी से अपनी रक्षा की गुहार की। गुरु तेग बहादुर ने उन्हें अपनी निगहबानी में ले लिया। मुगल बादशाह औरंगजेब इससे बहुत नाराज हुआ। जुलाई 1675 में गुरु तेग बहादुर अपने तीन अन्य शिष्यों के साथ आनंदपुर साहब से दिल्ली के लिए रवाना हुए थे। इतिहासकारों के अनुसार गुरु तेग बहादुर को मुगल फौज ने जुलाई 1675 में गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें करीब तीन-चार महीने तक दूसरी जगहों पर कैद रखने के बाद पिंजड़े में बंद करके दिल्ली लाया गया जो कि मुगल सल्तनत की राजधानी थी।
औरंगजेब चाहता था कि सिख गुरु इस्लाम स्वीकार कर लें लेकिन गुरु तेग बहादुर जी ने इससे इनकार कर दिया था। गुरु तेग बहादुर जी के त्याग और बलिदान के लिए उन्हें “हिंद दी चादर” कहा जाता है। मुगल बादशाह ने जिस जगह पर गुरु तेग बहादुर का सिर कटवाया था दिल्ली में उसी जगह पर आज शीशगंज गुरुद्वारा स्थित है। गुरु तेग बहादुर जी का जन्म 18 अप्रैल 1621 को अमृतसर में हुआ था। गुरु तेग बहादुर जी का असली नाम त्याग मल था। उन्हें “करतारपुर की जंग” में मुगल सेना के खिलाफ अतुलनीय पराक्रम दिखाने के बाद गुरु तेग बहादुर जी नाम मिला। 16 अप्रैल 1664 को वो सिखों को नौवें गुरु बने थे। माना जाता है कि चार नवंबर 1675 को गुरु तेग बहादुर को दिल्ली लाया गया था। मुगल बादशाह ने गुरु तेग बहादुर जी से मौत या इस्लाम स्वीकार करने में से एक चुनने के लिए कहा। उन्हें डराने के लिए उनके साथ गिरफ्तार किए गए उनके तीन ब्राह्मणों अनुयायियों का सिर कटवा दिया गया लेकिन गुरु तेग बहादुर नहीं डरे। उनके साथ गिरफ्तार हुए भाई मति दास जी के शरीर के दो टुकड़े कर दिए गये, भाई दयाल दास जी को तेल के खौलते कड़ाहे में फेंकवा दिया गया और भाई सति दास जी को जिंदा जलवा दिया गया। गुरु तेग बहादुर जी ने जब इस्लाम नहीं स्वीकार किया तो औरंगजेब ने उनकी भी हत्या करवा दी। अपनी शहादत से पहले गुरु तेग बहादुर ने आठ जुलाई 1975 को गुरु गोविंद सिंह को सिखों का दसवां गुरु नियक्त कर दिया था। गुरुद्वारा सिंह सभा फतेहपुर का सारा प्रोग्राम गुरूद्वारे प्रधान पपिंदर सिंह जी की अगुवाई में मनाया गया गुरूद्वारे में लाभ सिंह, जतिंदर पाल सिंह ,नरिंदर सिंह रिक्की,सरनपल सिंह, सतपाल सिंह,गोविंद सिंह, वरिंदर सिंह पवि,संत सिंह,गुरमीत सिंह, रिंकू सिंह ,सोनी, बंटी आदि उपस्थित रहे,महिलाओ में हरजीत कौर ,हरविंदर कौर, मंजीत कौर ,जसवीर कौर, गुरप्रीत कौर,हरमीत कौर, प्रभजीत कौर, ज्योति मालिक ,गुरशरण कौर ,ईशर कौर,रीता, इंदरजीत कौर, जसप्रीत कौर, तरनजीत कौर, नीना ,खुशी, वीर सिंह,प्रभजस आदि भक्त जन उपस्थित रहे ।