प्रयागराज : प्रयागराज माघ मेला 2022 में निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इस बार 580 हेक्टेयर क्षेत्र में माघ मेला बसाया जाएगा। जमीनों का समतीकरण लगभग पूरा होने वाला है। 22 दिसंबर से मेला क्षेत्र में जमीनों का आवंटन शुरू हो जाएगा। इसके लिए मेला प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है। जमीन आवंटन की शीघ्र ही अधिकृत सूचना जारी की जा सकती है। हालांकि माघ मेला को लेकर कुछ चुनौतियां भी हैं।
माघ मेला अगले माह शुरू हो जाएगा। एक माह तक संगम की रेती पर कल्पवास भी लगेगा। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आकर कल्पवास करेंगे और स्नान पर्वों पर लाखों की संख्या में स्नानार्थी भी जुटेंगे। उधर कोरोना का नया वेरियंट भी तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि उसका असर अभी यहां नहीं है, लेकिन कोरोना गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित कराना किसी चुनौती से कम नहीं होगी। हालांकि इसके लिए प्रयागराज जिला प्रशासन के साथ ही स्वास्थ्य विभाग और पुलिस महकमा भी सजग है।
गंगा और यमुना नदी के तट पर माघ मेला आयोजित होता है। इस बार माघ मेला तैयारियों पर गंगा में बढ़ा जलस्तर भी आड़े आ रहा है। लगातार गंगा में बाहर से छोड़ा जा रहा पानी यहां पहुंचने से प्रयागराज में किनारे कटान भी हो रही। किनारे की मिट्टी कटने से मेला में तैयारी कार्य पर असर पड़ रहा है। हालांकि इससे निपटने की भी तैयारी मेला प्रशासन कर रहा है।
माघ मेला प्रशासन की टीम ने वितरित करने के लिए भूमि की पैमाइश कर ली है। अभी समतलीकरण का काम चल रहा है। करीब तीन दर्जन टैक्टर और आधा दर्जन जेसीसी लगाकर समतलीकरण क काम किया जा रहा है। गंगा पर पांटून पुल बनाने का भी काम गति पकड़ ली है। पिछले दिनों कमिश्नर संजय गोयल ने धीमी गति पर नाराजती जताई तो पांटून पुलों पर चार-चार जेई लगाकर काम करवाया जा रहा है। वह लगातार निगरानी कर रहे हैं। विद्युतीकरण और पानी सप्लाई के लिए भी काम चल रहा है। वहीं गंगा में हो रहे कटान और दलदल के कारण कुछ काम प्रभावित हो रहा है। फिलहाल धीरे-धीरे पानी कम हो रहा है। वहीं दलदल सुखाने के लिए काम चल रहा है।
जानें, क्या कहते हैं मेला अधिकारी
मेला अधिकारी शेषमणि पांडेय ने बताया कि अतिरिक्त श्रमिक लगाकर समतलीकरण का काम किया जा रहा है। चूंकि मेला बसाने में अब महीने भर का समय बचा है। इसलिए 22 दिसंबर से जमीन का आवंटन शुरू कर दिया जाएगा। इस बार बाढ़ के चलते जमीन काफी कट गई है। फिर भी संस्थाओं को कहीं न कहीं जगह दी जाएगी। दूसरी ओर से तीर्थ पुरोहितों ने मांग की है कि जमीन का आवंटन सबसे पहले उन्हें किया जाए।