प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट में सोमवार से शारीरिक न होकर केवल वर्चुअल सुनवाई व्यवस्था का कुछ वकीलों की ओर से विरोध करने की घोषणा को लेकर पुलिस प्रशासन सतर्क हो गया। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस ने हाई कोर्ट परिसर के बाहर बैरेकेडिंग लगा दिया और वहां फोर्स तैनात कर कर प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया। हालांकि खुली अदालत में सुनवाई की मांग को लेकर वकीलों ने धरना-प्रदर्शन किया।
उल्लेखनीय है कि कोरोना के खराब होते हालात के मद्देनजर इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकीलों, वादकारियों का प्रवेश पूरी तरह से रोक दिया गया है। कोई परिसर में जबरदस्ती प्रवेश की कोशिश न करे, इसके लिए हाई कोर्ट के सभी प्रवेश द्वारों के आसपास एरिया की बैरिकेटिंग कर बड़ी संख्या में पुलिस तैनात कर दी गई है।
वर्चुअल सुनवाई से अधिवक्ता नाखुश
शारीरिक सुनवाई रोके जाने से काफी वकील नाखुश है। वकीलों का मानना है कि इससे जूनियर वकीलों की वकालत ठप हो जाएगी। क्योंकि उनके पास वर्चुअल सुनवाई की सुविधा नहीं है। हाई कोर्ट प्रशासन ने वर्चुअल सुनवाई की कोई व्यवस्था नहीं की है। कोरोना की पहली लहर में हाई कोर्ट ने केबिन तैयार कर वर्चुअल सुनवाई की व्यवस्था की थी। नेटवर्क की दिक्कत और भीड़ इकट्ठा होने के कारण उसे आगे नहीं बढ़ाया गया।
वर्चुअल सुनवाई का विरोध कर रहे वकीलों का कहना है कि जब स्वास्थ्य व पुलिस सेवा जारी है तो वादकारियों को न्याय दिलाने वाली अदालतों को क्यों आम अधिवक्ताओं व गरीब वादकारियों से दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। ऋतेश श्रीवास्तव ने बार एसोसिएशन के अध्यक्ष से मांग की है कि क्यों न जज चेंबर से वर्चुअल सुनवाई करें और वकीलों को न्याय कक्ष से बहस की अनुमति दी जाए। इससे पहले न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा अपने चेंबर में बैठकर बहस सुनते थे। वकील उनकी कोर्ट से बहस करते थे। वकीलों का यह भी कहना है कि सुरक्षा उपायों के साथ अदालत को चलाया जाना चाहिए। वादकारियों को न्याय दिलाने की हाईकोर्ट को सुनवाई की व्यवस्था करनी चाहिए। अन्यथा सरकारी सहायता से महरूम, अदालत की पहुंच से दूर जूनियर वकीलों की जीविका का सवाल उठ खड़ा होगा। सुविधा संपन्न वकील ही व्यवस्था का लाभ उठा सकेगे। कोरोना महामारी से टूट चुका आम वकील का जीवन दूभर हो जाएगा।
हाई कोर्ट प्रशासन ने दो सप्ताह के लिए लिया निर्णय
रविवार को हाई कोर्ट प्रशासन और बार एसोसिएशन के बीच हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि हालात को देखते हुए दो सप्ताह के लिए शारीरिक सुनवाई बंद कर दी जाए। इस दौरान मुकदमो की सिर्फ वर्चुअल सुनवाई ही की जाए। यह भी निर्णय लिया गया कि नेटवर्क लिंक न मिल पाने की स्थिति में किसी मुकदमे में विपरीत आदेश पारित नहीं किया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल के आदेशानुसार महानिबंधक आशीष गर्ग अधिसूचना जारी कर दी।
तीन जनवरी को वकीलों के विरोध से वर्चुअल सुनवाई का निर्णय वापस लिया था
इससे पूर्व भी हाई कोर्ट ने तीन जनवरी से सिर्फ वर्चुअल सुनवाई का निर्णय लिया था। वकीलों के भारी विरोध को देखते हुए इसे बदलना पड़ा था। इधर कोरोना के बदतर होते हालात और आधे दर्जन से अधिक जजों, निबंधक शिष्टाचार आशीष श्रीवास्तव व अन्य स्टाफ के कोरोना की चपेट में आने के कारण 10 जनवरी से फिर से सिर्फ वर्चुअल सुनवाई के निर्णय किया गया है।