प्रयागराज : कोरोना महामारी तीसरी लहर के साथ वापसी हो चुकी है तो अस्पतालों में इस बार संक्रमितों के इलाज की भी तगड़ी व्यवस्था है। उम्मीद की जा रही है कि संक्रमितों की जान बचाने की हर कीमत पर कोशिश होगी। कारण है कि डाक्टर अबकी दोहरे अनुभव से काम करेंगे। अधिकतर वही डाक्टर स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में लगाये जा रहे हैं जिन्हें पहली और दूसरी लहर के दौरान कोविड वार्ड में ड्यूटी दी गई थी। खासतौर से इन डाक्टरों का प्रशिक्षण भी हुआ है। पैरामेडिकल स्टाफ भी कोरोना की पहली दो लहरों के अनुभवी ही तैनात किए जा रहे हैं।
कोविड अस्पताल के नाम पर अभी एसआरएन का वार्ड आठ ही है। इसमें आठ आठ घण्टे के लिये डाक्टरों की शिफ्ट ड्यूटी लगाई गई है। नोडल वही डाक्टर सुजीत वर्मा हैं जिन्हें पहली और दूसरी लहर के दौरान एसआरएन कोविड हास्पिटल का नोडल बनाया गया था। इनके नेतृत्व में सभी डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को किसी भी आकस्मिक स्थिति में तैयार रहने को कहा गया है। उन सभी के पास कोरोना संक्रमितों के इलाज का अनुभव है। एनेस्थीसिया विभाग के एक्सपर्ट डाक्टर फ्रंट पर रहेंगे क्योंकि वार्ड में संक्रमित को लाये जाने पर उसे आक्सीजन देने का काम इन्हीं का होता है।
एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डाक्टर नीलम सिंह ने बताया कि संक्रमितों को लाये जाने पर अब उसे सामान्य रोगी की तरह ही ट्रीटमेंट देते हैं, यही जब पहली लहर के दौरान ड्यूटी लगी थी तो कोरोना संक्रमित को देखते ही मन में डर उत्पन्न हो जाता था। बताया कि उनके सभी अनुभवी डाक्टर कोरोना संक्रमितों की जान बचाने के लिये प्रायोगिक और मेडिकल प्रशिक्षण के साथ तैयार हैं।
वरिष्ठ फिजिशियन डाक्टर मोहित जैन को भी कोरोना वार्ड और इसके रोगियों की देखभाल के दोहरा अनुभव हो गया है। डाक्टर मोहित के अनुसार अब कोरोना संक्रमितों के आने पर ज्यादा तकनीकी दिमाग नहीं लगाना पड़ता है। बस संक्रमित के भर्ती होते ही इलाज शुरू कर देते हैं।
वार्ड में 23 बेड नौ संक्रमित
एसआरएन के कोरोना वार्ड आठ में 23 बेड हैं। इसमें अभी नौ संक्रमित भर्ती हैं। इनसे पहले पिछले दिनों जो लोग भर्ती हुए उन्हें स्वस्थ कर डिस्चार्ज करने में पांच से छह दिन ही लगे।