प्रयागराज : थ्रीडी प्रिंटिंग अब दस गुना सस्ती होगी। यह संभव हुआ है इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड रूरल टेक्नोलाजी (आइईआरटी) के शिक्षक डा. सुनील कुमार तिवारी की अनूठी खोज से। डाक्टर सुनील ने प्रेशरलेस कास्टिंग मेथोडोलाजी तकनीक खोजी है। यह तकनीक भी थ्रीडी प्रिंटिंग की तरह होती है। उनकी इस तकनीकी को भारत सरकार की ओर से 20 साल के लिए पेटेंट की अनुमति मिली है।
2013 में शुरू किया शोध
डाक्टर सुनील ने बताया कि इस टेक्नोलाजी पर शोध जेपी संस्थान से 2013 में हुई। इसके बाद आइआइटी मुंबई आ गए। यहां मैटेरियल डेवलपमेंट को लेकर शोध शुरू हुइा। शोध के दौरान डाक्टर संतोष पोगाड और डाक्टर शारंग पांडेय का मार्गदर्शन मिला। इसके बाद सेटअप तैयार किया गया है। वह कहते हैं थ्री डी प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी से छोटे-बड़े पार्ट हुबहू बनाए जा रहे हैं। इस टेक्नोलाजी से अब सर्जिकल इम्प्लांट्स जैसे हिप और नी-रिप्लेसमेंट्स भी बनना शुरू हो गए हैं। ‘थ्री डी प्रिंटिंग टेक्नोलाजी से बनने वाले पार्ट और इस्तेमाल किए जाने वाले मैटेरियल की लागत ज्यादा होती है।
डाक्टर सुनील ने बताया कि उन्होंने अपनी टेक्नोलाजी को भारत सरकार में पेटेंट कराने के लिए 2017 में आवेदन किया। चार वर्ष बाद पेटेंट का प्रमाण पत्र मिला। इस प्रमाण पत्र के अनुसार इस अविष्कार के लिए 30 नवंबर 2017 से 20 वर्ष की अवधि के लिए पेटेंट प्राप्त हुआ है।
संस्थान के निदेशक ने दी बधाई
आइईआरटी डिग्री डिवीजन में शिक्षक डीन शिक्षण संकाय डाक्टर सुनील कुमार तिवारी की इस उपलब्धि पर संस्थान गदगद है। निदेशक विमल मिश्रा ने डाक्टर तिवारी को बधाई देते हुए कहा कि इस अविष्कार ने संस्थान के लोगों को प्रेरित किया है। संस्थान के वित्त परामर्शी आरएन मिश्रा, परीक्षा सचिव डाक्टर केबी सिंह, डीन शिक्षण संकाय उमाशंकर वर्मा, सेवायोजन अधिकारी एसपी सिंह समेत अन्य शिक्षकों ने बधाई दी है।