प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सस्ते गल्ले के लाइसेंस धारक की मौत पर वारिसों को दुकान के आवंटन मामले में पुत्र वधू (विधवा या सधवा) को परिवार में शामिल करने का राज्य सरकार को निर्देश दिया है। साथ ही पुत्री को परिवार में शामिल करने तथा बहू को परिवार में शामिल न करने के राज्य सरकार के पांच अगस्त, 2019 के आदेश को रद करते हुए इसमें बदलाव का निर्देश दिया है। यह आदेश सचिव खाद्य एवं आपूर्ति द्वारा जारी किया गया था।
कोर्ट ने यूपी पावर कार्पोरेशन केस में पूर्णपीठ के फैसले के आधार पर सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति को नया शासनादेश जारी करने अथवा शासनादेश को ही चार हफ्ते में संशोधित करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने पुष्पा देवी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
इस फैसले में पूर्णपीठ ने कहा है कि बहू को आश्रित कोटे में बेटी से ज्यादा अधिकार है। यह फैसला इस मामले में भी लागू होगा। कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति को आदेश अनुपालन की जिम्मेदारी दी है। कोर्ट ने जिला आपूर्ति अधिकारी को नया शासनादेश जारी होने या संशोधित किए जाने के दो सप्ताह में याची को वारिस के नाते सस्ते गल्ले की दुकान का लाइसेंस देने पर विचार करने का निर्देश दिया है।
बता दें कि याची की सास के नाम सस्ते गल्ले की दूकान का लाइसेंस था, जिनकी 11 अप्रैल, 2021 को मौत हो गई। याची के पति की पहले ही मौत हो चुकी थी। विधवा बहू याची और उसके दो नाबालिग बच्चों के अलावा परिवार में अन्य कोई वारिस नहीं है। याची ने मृतक आश्रित कोटे में दुकान के आवंटन की अर्जी दी। जिसे यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया कि पांच अगस्त 2019 के शासनादेश में बेटी को परिवार में शामिल किया गया है किन्तु बहू को परिवार से अलग रखा गया है। कोर्ट ने शासनादेश में बहू को परिवार से अलग करने को समझ से परे बताया और कहा कि बहू को आश्रित कोटे में बेटी से बेहतर अधिकार प्राप्त है। इसलिए बहू को परिवार में शामिल किया जाए।
3249010cookie-checkप्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश, बहू को बेटी से ज्यादा अधिकार; आश्रित कोटे नियम बदले सरकारyes