गोरखपुर : खाद कारखाना का संचालन शुरू होने की तारीख नजदीक आने से स्थानीय उद्यमियों की उम्मीद बढ़ गई है। उद्यमियों का मानना है कि इससे स्थानीय औद्योगिक इकाइयों की रफ्तार बढ़ सकेगी। लोकार्पण कार्यक्रम के साथ ही यहां की इकाइयों को खाद कारखाना की सहयोग इकाई बनाने को लेकर आवाज भी बुलंद होने लगी है। सहयोगी इकाई के रूप में अनुबंध हुआ तो यहां की इकाइयां हिन्दुस्तान उर्वरक रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के मानकों के अनुसार उत्पादन कर सकेंगी और उनसे निश्चित मात्रा में बोरे की खरीद हो सकेगी।

बोरा बनाने वाली कुछ इकाइयां कर रहीं विस्तार, कुछ नई इकाइयों की हुई स्थापना

गोरखपुर में जब तक खाद कारखाना का संचालन होता रहा, यहां की दो इकाइयां उसकी सहयोगी इकाई के रूप में मान्यता प्राप्त थीं। गोरखपुर औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित माडर्न लेमिनेटर्स एवं सहजनवां की महावीर जूट मिल सहित कुछ इकाइयों को सहयोगी इकाई घोषित किया गया था, जिससे इन इकाइयों को आसानी से आर्डर प्राप्त हो जाता था। पहले का उदाहरण देकर यहां के उद्यमियों ने जिला उद्योग केंद्र से लेकर शासन तक गुहार लगाई है।

चैंबर आफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल का कहना है कि यदि गोरखपुर की इकाइयों को सहयोगी इकाई घोषित किया गया तो उनके उत्पादों को स्थानीय स्तर पर ही बाजार मिल जाएगा। खाद कारखाना को किसी भी आपात स्थिति में बोरे मिल जाएंगे। स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। माडर्न लेमिनेटर्स के एमडी किशन बथवाल का कहना है कि सहयोगी इकाई घोषित होने से काफी आसानी होती है। इससे जीएसटी के रूप में प्रदेश सरकार को भी फायदा होता है। यहां की इकाइयों को सहयोगी घोषित करना चाहिए। हमें उम्मीद है कि जल्द ही खाद कारखाना स्थानीय स्तर से बोरे खरीदेगा।

करीब 30 लाख बोरे प्रतिमाह की होगी जरूरत

खाद कारखाना में प्रतिमाह करीब 30 लाख बोरे की जरूरत होगी। लघु उद्योग भारती के जिलाध्यक्ष दीपक कारीवाल का कहना है कि उद्यमियों को इस क्षण का बेसब्री से इंतजार था। खाद कारखाना के शुरू होने और पूर्वांचल लिंक एक्सप्रेस वे के बगल में औद्योगिक गालियारा बनाए जाने से अन्य बड़ी कंपनियां भी यहां निवेश के लिए आकर्षित होंगी और इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। वर्तमान में गोरखपुर की माडर्न लेमिनेटर्स में प्रतिमाह एक करोड़ बोरे का उत्पादन होता है। यहां से पूरे देश में आपूर्ति होती है।

उद्यमी भोला जैसवाल ने खाद कारखाना हो देखते हुए बोरा बनाने की नई फैक्ट्री लगाई है। जनवरी से उत्पादन शुरू हो जाने की उम्मीद है। यहां प्रतिदिन 1.50 लाख बोरा बनेगा। गीडा के उद्यमी अशोक साव की इकाई में भी बोरा बनाया जाता है। वर्तमान में यहां 250 टन प्रतिमाह का उत्पादन है। खाद कारखाना आने से उसको बढ़ाकर 600 टन किया जा रहा है। बोरे के अलावा केमिकल की आपूर्ति के लिए भी यहां के उद्यमी आस लगाए हैं।

323370cookie-checkगोरखपुर : बदल जाएगी पूर्वांचल की सूरत, स्थानीय औद्योगिक इकाइयों को म‍िलेगा ऑक्‍सीजन
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