सुशील कुमार गुप्ता की रिपोर्ट
कानपुर(CNF)/कोरोना काल में भी टीबी रोगियों का विशेष ध्यान रखने तथा उनके नियमित जांच और इलाज के लिये वर्ष 2020 में सरकार द्वारा संचालित निक्षय पोषण योजना के तहत 5434 टीबी रोगियों को लाभान्वित किया गया है।
निक्षय पोषण योजना में टीबी की पुष्टि होने पर संबंधित रोगी के उपचार के साथ ही उसे पोषण के लिए 500 रुपये प्रतिमाह आर्थिक सहायता दी जाती है। जिले में जनवरी 2020 से दिसम्बर 2020 तक कुल 5474 टीबी रोगियों को 79 लाख 58 हजार रुपयों का भुगतान किया जा चुका है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अयोध्या प्रसाद मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2025 तक देश से टीबी को जड़ से मिटाने का सरकार का लक्ष्य है। इसलिये 15 दिन से अधिक खांसी आने पर बलगम की जांच कराएं। टीबी को छुपाने से बीमारी बढ़ती है और यह बीमारी परिजनों को भी अपनी चपेट में ले लेती है। समय से इलाज न कराना व पूरा इलाज न होने पर टीबी का फिर से इलाज शुरू करना बहुत ही लम्बा और कष्टदायी हो सकता है। साथ ही यह एमडीआर टीबी का रूप भी ले सकता है।
जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना ने बताया कि निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये प्रति माह की दर से पोषण के लिए आर्थिक मदद दी जाती है। इसके लिए संबंधित क्षय रोगी को अपने बैंक खाते का विवरण व मोबाइल नंबर सम्बंधित अस्पताल जहां से वह इलाज ले रहा है वहां उपलब्ध कराना होता है। इस डिटेल को निक्षय पोषण पोर्टल में अपलोड कर दिया जाता है, और मदद के तौर पर उसके खाते में हर माह 500 रुपये डीबीटी के जरिए भेजे जाते है। साथ ही बताया की यदि किसी कारणवश क्षयरोगी का खाता नहीं खुला है, ऐसी स्थिति में क्षयरोगी की सहमति से यह राशि उसके सम्बन्धी के खाते में भी भेजी जाती है।
उन्होंने बताया कि निक्षय पोषण योजना की धनराशि संबंधित रोगी के पोषण (खाने पीने) के लिए बैंक खाते में सीधे भेजी जाती है। शुरुआत में दो माह का एक साथ एक हजार बैंक खाते में भेजे जाते हैं। इसके बाद हर माह 500 रुपये से धनराशि संबंधित के खाते में भेजी जाती है। इस योजना के तहत निजी चिकित्सक के द्वारा जो क्षयरोगी इलाज करवा रहे हैं, निजी चिकित्सक द्वारा उनके इलाज की सूचना क्षयरोग विभाग को देने पर निजी चिकित्सक को 500 रुपये तथा इलाज पूर्ण होने की सूचना देने पर अतिरिक्त 500 रुपये प्रति रोगी दिए जाते हैं। इसके अलावा यदि किसी क्षयरोगी को दवा लेने घर से बहुत दूर आना पड़ता है जिसके कारणवश कठिनाई होती है, ऐसे में ट्रीटमेंट सप्पोर्टर (क्षयरोगी के घर के नजदीक) की मदद से दवाई आसानी से उपलब्ध करवा दी जाती है, जिसके लिए क्षयरोगी के पूरे इलाज के बाद ट्रीटमेंट सप्पोर्टर को हजार रूपये की तय राशि दी जाती है। जिले में जनवरी 2020 से दिसम्बर 2020 तक कुल 5474 टीबी रोगियों को 79 लाख 58 हजार रुपयों का भुगतान किया जा चुका है।
11 माह तक मिलता आर्थिक लाभ
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया अमूमन टीबी का इलाज 6 माह तक चलता है। एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट) केस में यह इलाज 9 से 11 माह तक चलता है। एमडीआर केस के पहले 24 माह तक इलाज चलता था। अब इस तरह के केस भी 11 माह में ठीक हो जाते हैं। इस प्रकार टीबी के रोगी को निक्षय पोषण योजना का लाभ 6 से लेकर के 11 माह (इलाज चलने तक) तक मिलता है।
लाभकारी है मदद
ब्लाॅक बिल्हौर के एक क्षय रोगी ने बताया कि सरकार की निक्षय पोषण योजना क्षय रोगियों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। उनके खाते में पांच सौ रुपये हर माह पहुंच रहे हैं। किदवई नगर के एक क्षय रोगी ने बताया आज के दौर में 500 रुपये एक माह के लिए बहुत ही कम है, लेकिन सामान्य व्यक्ति व आर्थिक तंगी झेल रहे क्षय रोगी के लिए यह मदद बहुत ही लाभकारी साबित हो रही है।