कानपुर (CNF)। रिंदा नदी को पार कर कई गांवों के लोगों को आने-जाने में काफी दिक्कत होती थी। नदी पर पुल बनवाने के लिए ग्रामीण जिले के अधिकारियों से लेकर विधायक और सांसद तक से मिले और उनके सामने अपनी समस्या रखी। साथ ही पुल बनवाने की गुहार भी लगाई, लेकिन बीते 25 सालों में किसी ने उनकी पुकार को नहीं सुना। वहीं, अब ग्रामीणों ने एकता की मिसाल पेश करते हुए 60 मीटर लंबा और 6 फीट चौड़ा पुल बनाकर तैयार कर दिया है।
उदईपुर, गुगुरा, पालपुर और पासी गांव कानपुर शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर है। बता दें कि उदईपुर और पासी का डेरा गांवों के बीच से रिंदा नदी बहती है। ग्रामीणों को एक गांव से दूसरे गांव जाने और अपने खेतों पर जाने के लिए रिंदा नदी को पार करना होता था। लेकिन नदी पर पुल ना होने के कारण काफी दिक्कते आती थी। पूर्व प्रधान राधिकाचरन कहार की मानें तो बारिश के महीनों में उफनाई नदी के चलते ग्रामीणों को अपने खेतों में आने जाने के लिए 15 किलोमीटर का चक्कर लगाकर जाना पड़ता है। यही नहीं, सर्दी में ग्रामीण बर्फीले पानी के बीच नदी पार करते थे।
उदईपुर गांव निवासी पूर्व प्रधान राधिकाचरन कहार, राजेंद्र पासी, अजीत यादव ने बताया कि बीते 25 सालों से एक अदद पुल की मांग को लेकर जन प्रतिनिधियों समेत अधिकारियों तक के आगे-पीछे खूब चक्कर लगाए लेकिन उनकी परेशानी का हल किसी ने नहीं निकाला। बताया कि सरकारी उम्मीद की आस छोड़ खुद की मेहनत और हौसले से रिंद नदी पर लकड़ी का पुल का निर्माण किया। इसके लिए गांवों के लोगों ने आपस में चंदा जुटा और एक पुल का निर्माण कर डाला।
ग्रामीणों ने बताया कि ये पुल 60-70 मीटर लम्बा है और डेढ़ मीटर चौड़ा जिस पर बाइक और गांव वाले आसानी से आ-जा सकते हैं। नदी में पुल के आधार को मजबूत करने के लिए आंधी से खेतों में टूटे पड़े बिजली के खंभों को ट्रैक्टर व हाइड्रा मशीन से नदी में गहरे गड्ढे खोद कर समानांतर खड़े कर दिए हैं। बताया कि पुल को बनाने के लिए यूकेलिप्टस की बल्लियों का इस्तेमाल किया गया है। वहीं, पुल को पार करत समय कोई हादसा ना हो इसके लिए नदी के दोनों तरफ बल्लियां लगाकर तार से कसावट की गई है।
गांव के एक शख्स रामकिशन का कहना है कि नदी पर पुल ना होने की वजह से बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी होती थी। कभी-कभी बाइक पुल में फंस जाती थी। जब प्रशासन ने हमारी नहीं सुनी तो हम सभी गांव वालों ने मिलकर पुल का निर्माण कर दिया। वहीं, पुल बनाने के बाद ग्रामीणों के चेहरे में खुशी झलक थी।