कानपुर : दृष्टिहीनों को सहारा लेकर अपने सारे काम करने पड़ते हैं। कभी-कभार वह सही अंदाजा न लगने पर गिरकर चुटहिल हो जाते हैं। उनकी परेशानी देखकर नौवीं कक्षा के दो छात्रों ने सिर पर कैप के रूप में ऐसा उपकरण तैयार कर दिया है जो दृष्टिहीनों का पथ प्रदर्शक बनेगा। छात्रों ने कैप को ‘ब्लाइंड कैपÓ नाम दिया है जो दृष्टिहीनों के सामने कुछ भी आने पर उन्हें सतर्क करेगा। यह सेंसर युक्त प्रणाली के तहत संभव हुआ है।
छात्रों का मार्गदर्शन करने वाले अटल टिंकरिंग लैब के इंचार्ज अवनीश मेहरोत्रा ने बताया कि अल्ट्रा सोनिक सेंसर से इनपुट बजर को भेजा जाता है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से यह आउटपुट के रूप में बजर से उस व्यक्ति के पास पहुंच जाता है जो कैप का उपयोग कर रहा होता है। कैप का प्रोटोटाइप तैयार होने के बाद लैब में 20 से अधिक व्यक्तियों की आंखों पर पट्टी बांधकर उन्हें यह कैप पहनाई गई। परीक्षण में प्रयोग पूरी तरह सफल रहा। छात्रों ने जो कैप तैयार की है, उसकी जानकारी आइआइटी के प्रोफेसरों व अटल इनोवेशन मिशन के विशेषज्ञों को दी गई है। अटल इनोवेशन मिशन के विशेषज्ञों ने इस प्रोटोटाइप को सराहा है।