न्यूयॉर्क/नई दिल्ली: भारत सरकार ने एक बार फिर से सीरिया के लोगों के साथ पूरी प्रतिबद्धता के साथ खड़े रहने की बात कही है। भारत सरकार की तरफ से यूनाइटेड नेशंस में कहा गया है कि भारत हमेशा सीरिया के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है लेकिन उन नेताओं को मदद मिलनी बंद होना चाहिए जो सीरिया के बहाने अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं।
सीरिया के साथ भारत
यूनाइटेड नेशंस में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमुर्ति ने कहा है कि सीरिया की समस्याओं और सीरिया की जनता के साथ भारत हमेशा से खड़ा रहा है और भारत हमेशा सीरिया के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए तैयार रहेगा मगर मानवता को आधार बनाकर अपनी जेब भरने वाले नेताओं को सहायता मिलनी बंद होनी चाहिए। भारत ने यूनाइटेड नेशंस के सदस्य देशों को संबोधित करते हुए कहा है मानवीय सहायता का राजनीतिकरण करने वालों को मदद देनी बंद करनी होगी क्योंकि वो लोग सीरिया के वंचित लोगों का हक छीन रहे हैं। भारत ने UNSC में साफ तौर पर कहा है कि सीरिया के लोगों के हितों को मारने वाले नेता, चाहे वो सीरिया के बाहर के लोग हों या फिर सीरिया के अंदर के लोग हों, उनको मिलने वाली सहायता बंद होनी चाहिए ताकि सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता, स्वतंत्रता और सीरिया की संप्रभुता की रक्षा की जा सके। यूनाइटेड नेशंस में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमुर्ति ने कहा कि सीरिया के लोगों की स्वास्थ्य और मानवता का काम करने वाले लोगों की रक्षा होनी चाहिए।
सीरिया को मदद
भारत सरकार लंबे वक्त से सीरिया को आर्थिक और मानवीय मदद देता आया है। UNSC में सीरिया को दिए गये मदद के बारे में बताते हुए भारत ने रहा कि भारत सरकार ने आपातकालीन मानवीय सहायता के तौर पर सीरिया को 2 हजार मिट्रिक टन चावल दी हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि एक हजार मिट्रिक टन की पहली खेप 11 फरवरी को सीरिया पहुंच गई है जबकि एक हजार मिट्रिक टन की दूसरी खेप 18 फरवरी को सीरिया पहुंची। वहीं, पिछले साल जनवरी में भारत के जयपुर में बने कृत्रिम पैर 500 से ज्यादा सीरियाई लोगों को लगाए गये हैं। वहीं एक हजार से ज्यादा सीरियाई बच्चों को भारत सरकार की तरफ से आगे की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप दिया गया है। वहीं सैकड़ों सीरियाई बच्चों को भारत के अलग अलग विश्वविद्यालयों में मुफ्त पढ़ाई की सुविधा दी गई है।
आपको बता दें कि सीरिया में गृह युद्ध की शुरुआत अरब स्प्रिंग के दौरान 2011 में देश के राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ शांतिपूर्ण विद्रोह के साथ में हुई थी। लेकिन बात में शांतिपूर्ण आंदोलन हिंसक होता चला गया और देखते ही देखते सीरिया गृहयुद्ध की ज्वाला में धधकने लगा। इस गृहयुद्ध ने सीरिया के लोगों की जिंदगी नर्क से बदतर करके रख दी। हजारों सीरिआई लोग कत्ल किए गये, कई शहर पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं वहीं सीरिया की वजह से वैश्विक राजनीति भी काफी तनाव में आ गया। सीरिया में कई देशों की दखलअंदाजी से सीरिया की संप्रभुता लगातार खतरे में रही है और पूरी दुनिया अपनी आंखों के सामने अब भी सीरिया में भयावह युद्ध और बर्बाद होने के कगार पर खड़ी सीरियाई जनता को देख रही है।