अफगानिस्तान में अशरफ गनी के सत्ता से बेदखल होने और तालिबान के शासन के आने के बाद वहां लगातार बिगड़ रहे स्वास्थ्य के हालात को देखकर भारत ने तालिबान शासित अफगानिस्तान को पहली मानवीय मदद भेजी है। द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्रालय ने बताया कि काम एयर के इस विमान से 1.6 मीट्रिक टन स्वास्थ्य मदद के अलावा 10 भारतीय और 94 अफगान अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने भी उड़ान भरी।
यह अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत की ओर से की जाने वाली पहली मानवीय मदद है। मदद पर अफगानिस्तान के स्थानीय चैनल टोलोन्यूज से बात करते हुए अफगानिस्तान स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता जाविद हज़िर ने कहा, भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के जरिये अफगानिस्तान को जो स्वास्थ्य उत्पाद दान किए हैं हम इसकी प्रशंसा करते हैं। और अन्य देशों से भी अफगानिस्तान की मदद करने के लिए अपील करते हैं। भारत अफगानिस्तान को कोरोना वायरस की पांच लाख वैक्सीन की डोज़ भी देगा।
भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुन्दजई ने भी भारत को अफगानिस्तान में इस मदद के लिए शुक्रिया कहा। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, अपने उपकार करने वालों के साथ जो साधुता बरतता है, उसकी तारीफ नहीं है। महात्मा वह है जो अपने साथ बुराई करने वालों के साथ भी अच्छाई करें। इस कठिन समय में अफगानिस्तान को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए भारत को धन्यवाद। भारत अफगान मित्रता अमर रहे। उन्होंने एक और ट्वीट करते हुए लिखा कि बच्चों को एक छोटी सी मदद, एक छोटी सी आशा, और उन पर कोई विश्वास करने वाला चाहिए होता है, भारत के मदद की पहली खेप आज आज काबुल पहुंची है। 1.6 मीट्रिक टन जीवन रक्षक दवाएं इस मुश्किल समय में कई परिवारों की मदद करेंगी। भारत के लोगों की ओर से अफगानिस्तान को तोहफा।
आपको बता दें कि, भारत की ओर से की जाने वाली सहायता सिर्फ मानवीय मदद का हिस्सा है। अभी भारत में तालिबान प्रशासन को मान्यता नहीं दी है। भारत ये मदद विश्व स्वास्थ्य संगठन के जरिये अफगानिस्तान को भेजेगा। भारत इससे पहले अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आगाह कर चुका है कि वह तालिबान सरकार को मान्यता देने में सोच समझकर कदम उठाएं। आने वाले दिनों में बड़े पैमाने में भारत पाकिस्तान के रास्ते गाने स्थान को सहायता भेजेगा।भारत अफगानिस्तान को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं भेजने वाला है, जिसे पाकिस्तान के बाघा बॉर्डर से अफगानिस्तान की सीमा तक ले जाने के लिए अफगानिस्तान के ट्रकों का इस्तेमाल किया जाएगा।