अगर हम आपसे कहे की एक केक को लेकर सात साल तक कानूनी लड़ाई चली हो तो क्या आप इस बात को मानेंगे? नहीं, लेकिन यह सच है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शख्स ने एक केक के लिए सात साल तक अदालत के चक्कर लगाए और अंत में उसके हाथ हार ही लगी। यह शख्स समलैंगिक अधिकारों के लिए काम करता है और उसने बेकरी वाले पर भेदभाव का आरोप लगाया था। शख्स के मुताबिक, बेकरी वाले ने केक पर सपोर्ट गे-मैरिज लिखने से इनकार कर दिया था और इस कारण शख्स ने इसे भेदभाव समझ कर अदालत का दरवाजा खटखटाया।
Belfast निवासी गैरेथ ली ने बेकरी वाले के खिलाफ लैंगिक और राजनीतिक आस्था के आधार पर भेदभाव का केस दर्ज किया था। निचली अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए बेकरी वाले को दोषी बताया था, लेकिन साल 2018 में यूके की सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों के फैसले पर असहमति जताते हुए फैसाल बेकरी वाले के पक्ष में सुनाया। इसके बाद गैरेथ ने European Court of Human Rights कोर्ट गए और वहीं सात जजों की बेंच ने उनका केस सुना। बेंच में शामिल सभी जजों ने केस को कोई आधार न समझते हुए खारिज कर दिया।
कोर्ट के फैसले के बाद शख्स काफी निराश हुआ और कहा कि, ‘आप ये कैसे अपेक्षा कर सकते हैं कि दुकान में जाते समय हमें पता हो कि उसका मालिक किस धार्मिक आस्था का पालन करता है।अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सभी का अधिकार है और ये बात समलैंगिक, उभयलिंगी और ट्रांसजेंडर लोगों पर भी समान रूप से लागू होनी चाहिए। सिर्फ इस आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता कि वो आपसे अलग है’। उन्होंने आगे कहा कि मैं इस बात से सबसे ज्यादा निराश हूं कि मुख्य मुद्दे का उचित विश्लेषण नहीं किया गया और तकनीकी आधार पर केस खारिज कर दिया गया।