(शबीर ए माधी, निदेशक, एसएएमआरसी वैक्सीन, संक्रामक रोग विश्लेषण अनुसंधान शाखा, विटवाटरस्रैंड विश्वविद्यालय; फरीद अब्दुल्ला, एसए चिकित्सा अनुंसधान परिषद; जॉनी मेयर्स, केपटाउन विश्वविद्यालय) जोहानिसबर्ग।(द कन्वरसेशन) दक्षिण अफ्रीका ने वर्ष 2021 के अंतिम दिनों में कोविड नियमों में ढील दी। 30 दिसंबर को सरकार ने कर्फ्यू को भी खत्म कर दिया जो मार्च 2020 से ही लागू था। शुरुआत में पृथकवास और संक्रमितों के संपर्क में आने की जांच करने के नियमों में भी ढील दी गई थी लेकिन उसे बाद में वापस ले लिया गया। इन कदमों ने परिपाटी तय की कि कैसे देश महामारी का मुकाबला करने का प्रयास कर रहे हैं। शबीर माधी और उनके सहयोगी इसके साहसिक और जोखिम वाले पक्ष को दर्शाते हैं।
सीरो सर्वेक्षण के आंकड़े दिखाते हैं कि देश की बड़ी आबादी में प्राकृतिक संक्रमण से और टीकाकरण से पहले ही कोविड के गंभीर संक्रमण के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी है। मौजूदा सबूत दिखाते हैं कि संक्रमण के खिलाफ उत्पन्न टी सेल प्रतिरोधक क्षमता बहु लक्ष्यों को निष्क्रिय करते हैं और खासतौर पर जब ये प्राकृतिक संक्रमण से पैदा होती है, यह ओमीक्रोन में कई आनुवंशिकी बदलवाव के बावजूद प्रभावित नहीं होती जिसके (ओमीक्रोन के) एक साल से अधिक समय तक बने रहने की आशंका है। इसकी व्याख्या संक्रमण के आ रहे मामलों के अनुपात में अस्पताल में भर्ती होने की दर और यहां तक मौत की दर में देखी जा रही कमी से की जा सकती है। इस बीच, अन्य अहम कदम भी उठाए गए हैं जैसे अधिक खतरे वाली आबादी को बूस्टर खुराक देने सहित टीककारण जिसे जारी रखने की जरूरत है। यह भी विचार करने योग्य है कि दक्षिण अफ्रीका में संक्रमण के 10 प्रतिशत मामले ही दर्ज होते हैं, ऐसे में संक्रमितों को पृथकवास में रखने से वायरस के प्रसार में उल्लेखनीय कमी नहीं आएगी। हमारे विचार से धीरे-धीरे गैर औषधीय हस्तक्षेप में भी ढील देने की संभावना है।
खासतौर पर सांकेतिक रूप से ‘‘ हाथ साफ करना’’औरऔर शरीर का तापमान दर्ज करने की व्यवस्था को खत्म किया जा सकता है। मैदान में होने वाले खेल को देखने के लिए लोगों को जाने की अनुमति नहीं देने का भी कोई कारण नहीं है। इसके बजाय, कम से कम तत्काल के लिए सरकार को बंद स्थान पर मास्क और वहां वेंटिलनेशन जैसे उपायों पर ध्यान देना चाहिए। अनिवार्य टीकाकरण अब भी विचारणीय है क्योंकि इससे बड़ी बात है कि बिना टीकाकरण कराए लोग अन्य को खतरा पैदा करते हैं और अस्पताल में संक्रमण के कारण भर्ती होने पर स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव डालते हैं। आकस्मिक कारणों से कोविड-19 संक्रमण होने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है , जैसे अन्य इलाज कराने अस्पताल जाने वाले लोग कोविड-19 से संक्रमित हो जाते हैं।
क्या लक्ष्य के बारे में स्पष्ट हैं? लक्ष्य है कि अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति और मौतों को कम से कम किया जाए। इसका बेवजह का दबाव दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं पर नहीं पड़े। दक्षिण अफ्रीका में ओमीक्रोन से मृत्यु दर नियंत्रण में है और डेल्टा लहर के मुकाबले दसवां हिस्सा है। इसका अभिप्राय है कि ये मौतें कोविड से पहले इंफ्लूएंजा से होने वाली मौतों के बराबर है जो 10 से 11 हजार सालाना होती थीं। हालांकि, यह कहना नामुकिन है कि भविष्य में वायरस के नए स्वरूप का दौर खत्म हो गया है लेकिन दक्षिण अफ्रीका में ओमीक्रोन लहर के अनुभव कुछ राहत देते हैं कि गंभीर मामलों और मौतों की संख्या में कमी आएगी।
खतरे क्या हैं? सबसे बड़ा खतरा है कि नए स्वरूप को लेकर पूर्वानुमान की कमी जो पूर्व के संक्रमण और प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न करने वाले टीके के असर को भी धता बता सकतें है लेकिन यह वायरस में बदलाव की वजह से है न कि नीति में बदलाव के कारण। दूसरा खतरा है कि महामारी की मानसिकता में बदलाव करने में असफलता और यह स्वीकार करने में असफलता कि ओमीक्रोन महामारी के साथ कोविड-19 अंत होने के करीब है। देश और उसके सभी संस्थानों व लोगों को फिर से पुरानी जिंदगी में जाने को तैयार होने की जरूरत है खासतौर पर स्वास्थ्य सेवा को।