भारतीय सांसदों के शामिल होने पर चीन ने आपत्ति जताई है। चीन ने सांसदों को चिट्ठी लिखकर उनसे तिब्बती स्वतंत्रता के लिए समर्थन करने से “बचने” के लिए कहा है। दरअसल, भारत के छह सांसदों द्वारा तिब्बत की निर्वासित सरकार के एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद चीन की तरफ से आपत्ति जताई गई है। भारत में चीनी दूतावास के राजनीतिक परामर्शदाता झोउ योंगशेंग ने कहा कि जैसा कि सभी जानते हैं, तथाकथित ‘निर्वासन में तिब्बती सरकार’ एक बाहरी अलगाववादी राजनीतिक समूह है और पूरी तरह से चीन के संविधान और कानूनों का उल्लंघन करने वाला एक अवैध संगठन है। यह दुनिया के किसी भी देश द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है।

बता दें कि तिब्बत की निर्वासित सरकार ने 22 दिसंबर को दिल्ली के एक होटल में कार्यक्रम आयोजित किया था। इस कार्यक्रम को All Indain Parliamentary Forum For Tibet ने आयोजित किया था। इस बैठक में कांग्रेस सांसद जयराम रमेश और मनीष तिवारी, बीजद के सुजीत कुमार, भाजपा की मेनका गांधी और केसी राममूर्ति और कौशल विकास, इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने हिस्सा लिया था। इस कार्यक्रम में शामिल हुए भारतीय सांसदों की राय ये थी कि तिब्बत पर चीन का कब्जा गैर कानूनी है और तिब्बत को अंतरराष्ट्रीय जगत से जो मदद मिलनी चाहिए थी, वो नहीं मिली।

तिब्बत पर फोरम 1971 की है और इसमें अटल बिहारी वाजपेयी, जॉर्ज फर्नांडीस और मोहम्मदली करीम छागला जैसे हस्तियों की एक विशिष्ट सूची है। नाम न बताने के इच्छुक एक सांसद ने कहा कि प्रतिभागियों ने अपने राजनीतिक दलों को बोर्ड में ले लिया था और वे एकतरफा बैठक में शामिल नहीं हुए और उन्होंने कहा कि चीनी दूतावास अक्सर राजनेताओं को पत्र भेजकर उन मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करता है जो बीजिंग के लिए महत्वपूर्ण थे। बीजद के कुमार ने कहा कि मंच एक सांस्कृतिक संगठन है जो तिब्बती विरासत और तिब्बती शरणार्थियों से संबंधित मुद्दों को बढ़ावा देता है।

345040cookie-checkतिब्बती कार्यक्रम में भारतीय सांसदों के शामिल होने से चीन हुआ परेशान, चिट्ठी लिखकर जताई आपत्ति
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